जालंधर के सिविल लाइन्स में स्थित पटेल अस्पताल के यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. स्वपन सूद ने एक पर्सनल प्रेस बार्ता में बताया कि किडनी व ब्लैडर से पथरी निकालने के लिए यह तकनीक सबसे आधुनिक, सुरक्षित व कारगर है। आरआइआरएस से किडनी व ब्लैडर की पथरी पेशाव के रास्ते प्राकृतिक ढंग से निकाली जाती है।
डॉ स्वपन सूद से विशेष बातचीत पर उन्होंने आर आई आर ऐस तकनीक से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर दिए:
प्रश्न : आरआइआरएस (RIRS) तकनीक क्या है और कितनी कारगर है?
उत्तर : दूरबीन द्वारा किडनी के अंदर फ्लेक्सिबल यूरेटोस्कोप की मदद से की जाने वाली सर्जरी को रेट्रोग्रेड इंट्रा रीनल सर्जरी (आरआइआरएस) कहते हैं। दूरबीन को मूत्र मार्ग से गुर्दे तक पहुंचाया जाता है। यहां बनने बाले स्टोन को लेजर किरणों से तोड़ा जाता है।
प्रश्न : क्या इसमें मरीज के शरीर में कट भी लगाया जाता है
उत्तर : इस तकनीक में कट नहीं लगाया जाता। दरअसल, पहले दूरबीन से जो ऑपरेशन होते थे, उसमें कई बार डॉक्टर अपनी सहूलियत के लिए बड़ा कट लगा देते थे। इस नई तकनीक में कट लगाने की गुंजाइश ही नहीं है।
प्रश्न : आरआइआरएस (RIRS) सर्जरी की होल सर्जरी से कितनी भिन्न है?
उत्तर : आरआइआरएस सर्जरी में लेप्रोस्कोपिक या ओपन सर्जरी की तरह चीरा नहीं लगाया जाता। इसमें लेजर किरणों से स्टोन को तोड़ने के बाद एक बास्केट की मदद से मूत्र मार्ग के द्वारा उसे निकाल दिया जाता है।
प्रश्न : इस तकनीक से किए जाने वाली स्टोन सर्जरी में क्या मरीज को बेहोश करने की जरूरत होती है?
उत्तर : जी, सामान्य या रीढ़ की हड्डी वाले ऑपरेशन में एनेस्थेसिया का सहारा लिया जा सकता है। इस सर्जरी में कम रक्त स्त्राव और पीड़ा होती है।
प्रश्न : क्या आरआइआरएस (RIRS) तकनीक का इस्तेमाल किसी अन्य बीमारी में किया जा सकता है?
उत्तर : इस तकनीक का इस्तेमाल किडनी स्टोन सर्जरी के अलावा मूत्र वाहिनी में रुकावट और ट्यूमर के इलाज के लिए भी किया जाता है।
प्रश्न : आरआइआरएस (RIRS) के बाद भी क्या स्टेंट रखा जाना आवश्यक है ?
उत्तर : अधिकांश मामलों में स्टेंट का रखा जाना जरूरी होता है। मूत्र वाहिनी को खुला रखने के और स्टोन को बाहर निकालने में यह स्टेंट सहायक हैं। छोटे आपरेशन से स्टेंट को निकाल दिया जाता है।
प्रश्न : आरआइआरएस (RIRS) में कितना समय व इलाज खर्च आता है?
उत्तर : की होल सर्जरी की तुलना में इलाज खर्च ज्यादा है। ऑपरेशन में मात्र एक घंटा समय लगता है। अगले दिन मरीज रोजमर्रा के काम कर सकता है।
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किडनी माहिर
डॉ स्वपन सूद
एमएस (सर्जरी), एम.सीएच. (एम्स)
सलाहकार यूरोलॉजिस्ट, एंड्रोलॉजिस्ट, किडनी ट्रांसप्लांट और रोबोटिक सर्जन
विशेषज्ञ:
रोबोटिक सर्जरी | गुर्दा प्रत्यारोपण | यूरो-ऑन्कोलॉजी | यूरोडायनामिक्स | रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलॉजी | प्रोस्टेट | गुर्दे की पथरी