समय पर सही जांच और सही राय से लिवर की बीमारियों का सरलता से हो सकता है इलाज : डा. वरुण गुप्ता, पेट और लिवर रोगों के माहिर, पटेल अस्पताल जलंधर
जालंधर, 18 अप्रैल: पटेल अस्पताल के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट एंड हैपाटालॉजिस्ट डा. वरुण गुप्ता ने बताया कि दिमाग को छोड़कर लिवर इंसानी शरीर का सबसे मजबूत, बड़ा और महत्वपूर्ण अंग है। यह खून में रासायनिक स्तर को नियंत्रित करता है। साथ ही यह खून को साफ भी करता है। भोजन के पाचन में इसका अहम योगदान होता है। वह शरीर की सारी गंदगी को भी बाहर निकालता है । यह शरीर में प्रोटीन पोषण की मात्रा को सं तुलित बनाए रखता है यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी नियंत्रित रखता है । यह संक्रमण और रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है ।
ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलने में भी इसका अहम हाथ होता है। इसके बिना इंसान जीवित नहीं रह सकता यदि इंसान अपने लिवर का सही तरीके से ध्यान नहीं रखता है, तो उसे नुकसान भी पहुंच सकता है। ऐसे में इसे तंदुरुस्त रखने के लिए इंसान को अपने खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए और समय-समय पर अपने लिवर की जांच करवानी चाहिए | शुरुआती स्टेज में लिवर की बीमारी का पता चलने से इसे काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
डा. वरुण गुप्ता जो कि पेट और लिवर के रोगों के माहिर डॉक्टर है और जलंधर के पटेल अस्पताल में अपनी सेवाएं से रहे है ने ‘वर्ल्ड लिवर डे’ के मौके पर बातचीत के दौरान उन्होंने तेजी से बढ़ती लिवर की बीमारियों के लक्षण और इससे बचाव संबंधी भी अहम जानकारी साझा की। जो इस प्रकार है।
लिवर खराब होने के ये-ये हो सकते हैं कारण
शराब के अत्याधिक सेवन से लिवर खराब हो सकता है । इससे लिवर सिरोसिस और गंभीर स्थितियों में लिवर फेलियर की भी वजह बन सकती है। इंसान की ओवरइटिंग (जरूरत से ज्यादा खाना खाने से) से पाचन तंत्र खराब हो सकता है। ज्यादा ऑयली, फ्राइड फूड और खाने में चीनी व नमक के ज्यादा प्रयोग से भी लिवर खराब हो सकता है। काला पीलिया (हैपेटाइटिस बी और सी ) पंजाब में लिवर की बीमारियों की एक मुख्य वजह है। पंजाब में नशे और इंजेक्टेबल ड्रग यूजर्स आई.डी. यू. की लगातार बढ़ती संख्या के कारण भी यह वायरस तेजी से फैल रहे हैं। जो लिवर को खराब कर रहे हैं
भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति को है फैटी लिवर डिसीज
विश्व के दूसरे देशों की तुलना में भारत में फैटी लिवर डिसीज बड़ी तेजी से फैल रही है। आंकड़ों के मुताबिक देश में हर पांच में से एक व्यक्ति फैटी लिवर डिसीज से पीड़ित है। असल में फैटी लिवर के पीछे की मुख्य वजह इंसान की अनियंत्रित जीवनशैली और इससे जुड़ी बीमारियां हैं। अकसर देखने में आता है कि लिवर में फैट जमा होने की संभावना उन लोगों में ज्यादा होती है, जो मोटापा और डायबिटीज से पीड़ित होते हैं तथा जिनके ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है। देश के दूसरे राज्यों की तुलना में पंजाब में यह डिसीज काफी तेजी से फैल रही है।
हैपेटाइटस क्या होता है और इसके कौन- कौन से कारण हो सकते हैं।
लिवर की होने वाली बीमारियों में हैपेटाइटस सबसे प्रमुख है। लिवर में जब भी किसी वजह से सोजिश आती है और एस. जी. ओ.टी.एस. जी. पी. टी., बढ़ जाते हैं, उसे हैपेटाइटस कहते हैं। हैपेटाइटस, फैटी लिवर, हैपेटाइटस बी और सी तथा एल्कोहल के ज्यादा सेवन से होता है। हैपेटाइटस, एक्यूट और क्रॉनिक हो सकता है। अगर आप पीलिया, अत्यधिक थकान और भूख में कमी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको एक्यूट हैपेटाइटस की जांच करानी चाहिए। इसमें हैपेटाइटस ‘ए और हैपेटाइटस ‘ई प्रमुख कारण हैं। ऑटोइम्यून सिस्टम गड़बड़ाने से भी लिवर में हैपेटाइटस हो सकता है। अकसर देखने में आता है कि लिवर में कोई बीमारी लंबे समय से पल रही होती है। इसे अनदेखा करने से आगे चलकर यह लिवर सिरोसिस का रूप ले सकती है |
लिवर ट्रांसप्लांट से मिल सकता है सिरोसिस और लिवर कैंसर पेशैंट्स को जीवन दान
जो मरीज फैटी लिवर डिसीज, हैपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित हैं । अगर किसी व्यक्ति को ‘लिवर सिरोसिस’ है। समय रहते इसका इलाज न कराने की सूरत में यह आगे चलकर ‘लिवर कैंसर’ का भी रूप धारण कर सकता है । ‘लिवर सिरोसिस या लिवर का कैंसर होने पर मैडीकल ट्रीटमैंट के अलावा मरीज के पास ‘लिवर ट्रांसप्लांट’ का भी बेहद कारगर विकल्प रहता है। मैडीकल प्रोफैशन में इजाद हो रही अत्याधुनिक तकनीक से अब ‘लिवर ट्रांसप्लांट में 90 प्रतिशत से भी ज्यादा सक्सैस रेट देखने को मिलता हैअसल में ‘लिवर ट्रांसप्लांट’ की प्रक्रिया लिवर पेशेंट्स के लिए वरदान साबित हो रही है। इससे उसे नया जीवन मिल सकता है। गौर हो कि फाइब्रोस्कैन की अत्याधुनिक तकनीक से मरीज में आसानी से लिवर डिजीज का पता लगाया जा सकता है । इसका समय रहते पता चलने पर इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।